मैं मरा नहीं हूं...प्रशासन की लापरवाही ने खतौनी में बुजुर्ग को बना दिया मुर्दा, अब तहसील का चक्कर काट रहा शख्स

जमीन के दस्तावेजों में मृत व्यक्ति खुद को जिंदा साबित करने में लगा हुआ है। हैरान न हो, ये कहानी फिल्मी नहीं है, जैसा आपने बॉलीवुड कलाकार पंकज त्रिपाठी की मूवी ‘कागज’ में देखा होगा। यह मामला उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल का है। यहां गोविंद सिंह नाम का व्यक्ति बीते आठ महीनों से खुद के जीवित होने का प्रमाण तहसील प्रशासन को दे रहे हैं, लेकिन अभी तक गोविंद सिंह खाता खतौनी में मृत हैं। गोविंद लंबे समय से तहसील के चक्कर काट रहे हैं, ताकि उनके दस्तावेजों में सुधार हो सके। 

पत्नी और बच्चों के नाम दर्ज, लेकिन गोविंद के नाम के आगे लिखा था मृतक

दरअसल गोविंद सिंह दिल्ली में सरकारी नौकरी करते थे। रिटायर होने के बाद वे अपने पैतृक घर श्रीनगर गढ़वाल के नकोट गांव पहुंचे। यहां गोविंद सिंह और उनकी पत्नी रह रहे हैं। एक दिन जब उन्होंने अपने जमीन के दस्तावेज देखे, तो उनके के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। पता चला कि खाता-खतौनी में गोविंद सिंह के नाम के आगे मृतक लिखा था। गोविंद सिंह ने बताया कि वे साल  2015 में रिटायर हुए। कुछ समय तक दिल्ली में ही रहे, फिर गांव लौटने का मन बनाया। गांव में रहते हुए जब एक दिन वे जमीन के दस्तावेज देख रहे थे, तो उन्हें यह गलती नजर आई। जमीन के दस्तावेज में उनकी पत्नी और बच्चों के नाम दर्ज हैं, लेकिन उनके नाम के आगे मृतक लिखा था।

पेंशन भी मिलती है, लेकिन खतौनी में मृत

गोविंद सिंह कहते हैं कि दस्तावेज में गलती का पता चलने के बाद वे तहसील गए।  गोविंद सिंह ने बताया कि वे सात-आठ महीने से तहसील जा रहे हैं, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला कि आखिर ये गलती हुई कैसे। उन्होंने बताया कि 7 मई 2016 से खतौनी में उनका नाम मृत दिखा दिया गया है। गोविंद सिंह कहते हैं कि उन्हें पेंशन मिलती है, साथ ही उनके पास आधार कार्ड जैसे कई अन्य दस्तावेज भी हैं, जो यह पुष्टि करते हैं कि वे अभी जीवित हैं। बावजूद इसके खाता-खतौनी में ऐसा कैसे हुआ, इसका पता नहीं चल रहा।

तहसील प्रशासन ने लिया संज्ञान

पूरे मामले पर श्रीनगर के तहसीलदार धीरज राणा ने बताया कि उनके संज्ञान में यह प्रकरण आया है, जिसमें व्यक्ति जीवित है, लेकिन उसका खतौनी से नाम हट चुका है। इस विषय पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि गोविंद सिंह को मृत कैसे घोषित किया गया था, जिसके कारण उनका नाम खतौनी से हटा, इसकी जांच कराई जा रही है। आखिर इस तरह की गलती कैसे हुई, यह भी पड़ताल की जा रही है। 

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